गुजरात के बारलावड़ा गांव में चलती है AC भारत सरकार, नहीं मानते संविधान, इस गाँव में पुलिस पत्रकार विधायक नही जा सकते

  ग्राउंड रिपोर्ट भारतीय कानून नहीं मानते, लाल बत्ती में घूमते हैं: ‘AC भारत सरकार’ संगठन लोगों का ब्रेनवॉश कर रहा; MLA बोले- रोकने पर विरोध...

 

ग्राउंड रिपोर्टभारतीय कानून नहीं मानते, लाल बत्ती में घूमते हैं:‘AC भारत सरकार’ संगठन लोगों का ब्रेनवॉश कर रहा; MLA बोले- रोकने पर विरोध का खतरा

अगर आपसे कोई कहे…

देश में कोई केंद्र या राज्य सरकार नहीं है…

न भारतीय कानून को मानना चाहिए और न भारतीय संविधान को…

हर 5 साल में होने वाले चुनाव धोखा हैं…

सिर्फ 1 रुपए का नोट ही असली करेंसी है…

आधार कार्ड और वोटर आईडी जैसे दस्तावेज का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए…

जाहिर है, इन सभी बातों को लेकर आपका एक ही जवाब होगा- क्या बेतुकी बात है

एक संगठन है, जो इन बातों को मानता भी है और राजस्थान के कई जिलों के ट्राइबल बेल्ट में आदिवासियों का ब्रेनवॉश कर गुमराह भी कर रहा है। इस संगठन का नाम है AC भारत सरकार (एसी का मतलब एंटी क्राइस्ट)।

एक तरफ देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है, वहीं दूसरी तरफ ये संगठन आदिवासियों में देश और संविधान के प्रति जहर घोल रहा है।

सिरोही जिले से 30 किमी दूर पहाड़ों पर स्थित बारलावड़ा गांव में इस संगठन ने आदिवासियों को अपने जाल में फंसा लिया है।

भास्कर ने बारलावड़ा गांव में जाकर पड़ताल की कि कैसे ‘AC भारत सरकार’ ट्राइबल बेल्ट में अपना जाल फैला रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

भास्कर रिपोर्टर ने जब गांव में इस तरह की प्लेट्स पर लिखे शब्दों को समझने की कोशिश की तो वहां मौजूद लोगों ने उसे पढ़ने से रोक दिया।
भास्कर रिपोर्टर ने जब गांव में इस तरह की प्लेट्स पर लिखे शब्दों को समझने की कोशिश की तो वहां मौजूद लोगों ने उसे पढ़ने से रोक दिया।

कैमरा दिखते ही बोले-पहले इसे बंद करो
बारलावड़ा आदिवासियों का गांव है। 1500 से 2 हजार की आबादी वाले इस गांव में 300 घर हैं। गांव के लोग जीने के लिए खेती-बाड़ी पर निर्भर हैं। हम गांव की ओर बढ़ना शुरू हुए तो ऊंचे पहाड़ों की तरफ जाती मुख्य सड़क पर बड़े- बड़े शिलालेख जैसे कुछ पत्थर दिखे।

इन पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा था- गवर्नमेंट ऑफ इंडिया। इसके अलावा भी वहां बहुत कुछ लिखा हुआ था, जो हमारी समझ से बाहर था। पास ही एक पक्के मकाननुमा ऑफिस के ऊपर लिखा था heaven's light our guide (स्वर्ग की रोशनी हमें रास्ता दिखाती है)। ये सब हमें चौंकाने के लिए काफी था।

हम इन प्लेट्स पर लिखी बातें समझने की कोशिश कर ही रहे थे, इसी दौरान एक युवक दौड़ता हुआ आया और कैमरा बंद करने को कहा। उसके पीछे-पीछे 4-5 युवक और आ गए। हमने मौके की नजाकत को भांपते हुए कैमरा बंद किया।

इसके बाद वो युवक हमसे बात करने को तैयार नहीं थे। काफी जांच-पड़ताल और गुजरात में किसी से फोन पर बात कराने के बाद वो हमसे बात करने को तैयार हुए। उन्होंने कुछ और लोगों को भी बुला लिया, जिनमें कुछ अधेड़ उम्र के भी थे। इसके बाद उन्होंने ऊपर चलकर ऑफिस के गेट खोल दिए और हमें बैठाया।

तर्क : आदिवासी ही देश की जमीन के असली मालिक
हमने बातों ही बातों में शेका से पूछा, महज एक साल में तकरीबन पूरा गांव ‘AC भारत सरकार’ का परिवार कैसे बन गया? इस संगठन का मुखिया कौन है?

गांव में एंट्री पर इस तरह का बड़ा पत्थर लगा था। यहां के लोगों का मानना है कि इस जमीन के असली मालिक आदिवासी ही हैं।
गांव में एंट्री पर इस तरह का बड़ा पत्थर लगा था। यहां के लोगों का मानना है कि इस जमीन के असली मालिक आदिवासी ही हैं।

उसने बताया AC का मतलब है एंटी क्राइस्ट। ये संगठन आज का नहीं है। AC भारत सरकार यानी राजाओं के राजा, शहंशाहों के शहंशाह और नवाबों के नवाब फर्स्ट ट्रेजरी ऑफ़ लार्ड कुंवर केश्री सिंह ने साल 1969 में बकिंघम पैलेस में 41 देशों के 164 डेलीगेट्स के सामने ये साबित किया था कि देश और इसकी जमीन के असल मालिक आदिवासी हैं।

वहीं, साल 2011 में जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने भी यही कहा (उसने हमें अखबार की कटिंग भी दिखाई)। बस धीरे-धीरे ये बात हर आदिवासी तक पहुंच रही है और लोग जागरूक हो रहे हैं।

इंसान के बनाए कानून नहीं मानते
शेका भाई ने बताया- आज का कैलेंडर यीशु मसीह की पैदाइश के साल से है। जबकि वो मानते हैं कि उनकी ‘AC भारत सरकार’ उससे पहले भी थी और हमेशा रहेगी। आदिवासी इसी ‘AC भारत सरकार’ का कुटुंब हैं।

देश में वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए गाड़ियों पर लाल बत्ती लगाने पर पाबंदी लगी है, लेकिन इस गांव में कई गाड़ियों पर ये बत्ती लगी नजर आई।
देश में वीआईपी कल्चर को खत्म करने के लिए गाड़ियों पर लाल बत्ती लगाने पर पाबंदी लगी है, लेकिन इस गांव में कई गाड़ियों पर ये बत्ती लगी नजर आई।

जब कोई कानून की किताब नहीं थी, तब भी दुनिया चलती थी। प्रकृति का अपना कानून है और वो अपने तरीके से काम करता है। इसलिए हम कहते हैं कि हम इंसान के बनाए हुए किसी भी कानून को नहीं मानते। हमारा भारत सरकार से संबंध नॉन ज्यूडिशियल है।

‘1 रुपए का नोट ही असली करेंसी’
हमारी बातचीत चल रही थी, तभी पास ही बैठे AC जमाता भाई बोले- क्या आपने कभी एक रुपए का नोट देखा है? उसमें भारत सरकार क्यों लिखा हुआ है, जबकि उससे बड़े सभी नोट पर भारतीय रिजर्व बैंक और सेन्ट्रल गवर्मेंट लिखा होता है।

गांव में बनी इस बिल्डिंग पर heaven's light our guide लिखा है। इसका मतलब है (स्वर्ग की रोशनी हमें रास्ता दिखाती है)।
गांव में बनी इस बिल्डिंग पर heaven's light our guide लिखा है। इसका मतलब है (स्वर्ग की रोशनी हमें रास्ता दिखाती है)।

जमाता बोला- क्योंकि ये एक रुपए का नोट ही असल करेंसी है। इस पर कहीं भी रिजर्व बैंक की गारंटी नहीं लिखी हुई है। ये जो भारत की केंद्र सरकार है, वह एक रुपए के अलावा बाकी सभी नोट की तरह करार पर चलने वाली सरकार है। इसलिए हम सेन्ट्रल गवर्नमेंट को नहीं मानते।

(हालांकि भास्कर ने गांव में पड़ताल की तो पता चला कि लोग 1 रुपए के अलावा दूसरे नोटों का भी इस्तेमाल करते हैं।)

'अंग्रेजों ने लीज पर ली थी जमीन'
अधेड़ उम्र का AC रुपा भाई बोला- सेंट्रल गवर्मेंट ऑफ इंडिया के सभी प्रधानमंत्री और मंत्री तो खुद ही नौकर हैं, वो मानते भी हैं। असल में वो AC भारत सरकार के नौकर हैं।

सबसे पहले अंग्रेजों ने इस देश की जमीन को 1870 में 99 साल के लिए लीज पर लिया था। 4 फरवरी 1969 में वो लीज पूरी हो गई। इसके बाद लीज के इस करार को आगे नहीं बढ़ाया गया।

ऐसे में आदिवासियों का इस देश की जमीन पर अपने आप मालिकाना हक कायम हो गया। अब धोखे से 5-5 साल के चुनाव कराकर उन्हें उनके मालिकाना हक से दूर रखा जा रहा है।

कलेक्टर ने माना- आदिवासी इलाकों में एक्टिव है संगठन
इस मामले को लेकर हमने कलेक्टर भंवरलाल चौधरी से बात की तो पहले तो उन्होंने ऐसी जानकारी होने से ही मना कर दिया।

इसके बाद दोबारा फोन कर उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में ये अपने अधिकारों को लेकर काम करते हैं, पर इससे कभी विवाद खड़ा नहीं हुआ। इनका ये संगठन कहीं रजिस्टर्ड ही नहीं है तो बैन की तो कोई बात ही नहीं है।

MLA बोले- रोकने पर विरोध का खतरा
इस पूरे मामले को लेकर हमने पिंडवाड़ा विधानसभा के भाजपा MLA समाराम गरासिया से मिलने का प्रयास किया। उनका गांव वरली मालप से महज 2 किलोमीटर ही है। वो हमें घर पर नहीं मिले। फोन पर बात हुई तो उन्होंने भी माना कि ये संगठन वहां चल रहा है।

उन्होंने कहा कि आदिवासियों से झगड़े और लड़ाई कोई मोल लेना नहीं चाहता इसलिए ये चल रहा है। कुछ-कुछ गांवों में ये तेजी से फैला है। वो देश के कानून-कायदे और सरकार को ही नहीं मानते हैं।

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ATV NEWS CHANNAL (24x7 National Hindi Satellite News Channel): गुजरात के बारलावड़ा गांव में चलती है AC भारत सरकार, नहीं मानते संविधान, इस गाँव में पुलिस पत्रकार विधायक नही जा सकते
गुजरात के बारलावड़ा गांव में चलती है AC भारत सरकार, नहीं मानते संविधान, इस गाँव में पुलिस पत्रकार विधायक नही जा सकते
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