श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ईदगाह समेत पूरे जन्मस्थान पर अपना दावा करते हुए सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया। मथु...
श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ईदगाह समेत पूरे जन्मस्थान पर अपना दावा करते हुए सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया।
मथुरा में शुक्रवार को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने पहली बार विवादित जमीन पर अपना दावा रखा है। श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने विवादित पूरे जन्मस्थान पर अपना दावा करते हुए सिविल न्यायाधीश सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया। बता दें, कि यह वाद श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से ट्रस्टी विनोद कुमार बिंदल और ओमप्रकाश सिंघल ने पेश किया है। कोर्ट ने भी वाद दायर कर लिया है। इस बात की जानकारी जन्मभूमि की ओर से पेश हुए अधिवक्ता महेश चतुर्वेदी ने दी है। उन्होंने जानकारी देते हुए कहा है कि कोर्ट ने यह वाद स्वीकार कर लिया है और वाद को स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट भेज दिया गया है
समझौता पूर्ण रूप से गलत है- अधिवक्ता महेश चतुर्वेदी
इसके अलावा अधिवक्ता महेश चतुर्वेदी ने बताया कि ट्रस्ट का मानना है कि दूसरा पक्ष जिस कथित समझौते का हवाला देते हुए अपने कब्जे की बात करता है, वह (श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ, जो अब श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से जाना जाता है), इस संघ के द्वारा गैर आधिकारिक तौर पर 1968 में विपक्षी कमेटी से भूमि को लेकर समझौता किया था। इस समझौते के तहत ढाई एकड़ के करीब भूमि विपक्षी कमेटी को दे दी गई। ये समझौता पूर्ण रूप से गलत है।
जन्मस्थान मामले में अब तक दायर हो चुके है 17 वाद
बता दें कि इस समझौते की डिग्री वर्ष 1973 या 1974 में न्यायालय द्वारा दी गई थी। जन्मस्थान मामले में अब तक 17 वाद दायर हो चुके हैं, जन्मभूमि ट्रस्ट ने पहली बार यह स्पष्ट किया है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ को श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की ओर से मंदिर परिसर की देखरेख, साफ-सफाई, रखरखाव आदि व्यवस्थाओं के लिए जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन सेवा संघ द्वारा कथित तौर पर अनाधिकृत रूप से वर्ष 1968 में इंतजामिया कमेटी से भूमि पर काबिज रहने को लेकर समझौता कर लिया गया।
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