कहीं कार्यवाही को प्रभावित करना तो नही उद्देश्य सृष्टि चतुर्वेदी, एडवोकेट उरई (जालौन):- प्रदेश के आका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश क...
कहीं कार्यवाही को प्रभावित करना तो नही उद्देश्य
सृष्टि चतुर्वेदी, एडवोकेट
उरई (जालौन):- प्रदेश के आका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश के पुलिस मुखिया विजय कुमार प्रदेश की जनता केआ उत्पीड़न और शोषण रोकने के लिए चाहे जितने कड़े से कड़े कदम उठा ले लेकिन अराजकतत्व उनकी मंशा को विफल करने में कोई कोर कसर छोड़ना नही चाह रहे है जिसकी एक बानगी उस समय देखने को मिली जब न्यायालय के आदेश पर सदर कोतवाली में एक अधिबक्ता और ठेकेदार के विरुद्ध रंगदारी मांगने का फर्जी मामला दर्ज कराया गया है।
बता दे प्राप्त जानकारी के अनुसार जनपद की सदर कोतवाली उरई में न्यायालय के आदेश के अनुपालन में एक मामला दर्ज हुआ है जिसमे बकौल रिपोर्टकर्ता जितेंद्र कुमार गुप्ता का कथन है कि जिले केब एक अधिबक्ता विकास श्रीवास्तव और एक ठेकेदार शैलेन्द्र कुमार मिश्रा षड्यंत्र करके ठगी करते है और उनके द्वारा मुझे झूठे मुकद्दमे में फंसाने की धमकी देकर रंगदारी मांगी जा रही है और उसने यह भी कथन किया है कि मुझे छेड़खानी के आरोप में फंसाने के लिए झूठी शिकायत डायल 112 पर कराई गई थी जिस पर पुलिस ने मुझे पकड़कर बेइज्जत किया था जबकि इस घटना के बाबत जांच करने वाले उपनिरीक्षक संदीप कुमार द्वारा अपनी रिपोर्ट में यह लिखा था कि शिकायत प्राप्त होने पर जब मौके पर पहुंचे तो न तो शिकायतकर्ता मौके पर मिली थी और न ही कोई गाड़ी खड़ी मिली थी। खैर पुलिस ने न्यायालय के आदेश के अनुपालन में अपराध संख्या 753/2023 पर मामला दर्ज कर लिया है और विवेचना शुरू कर दी है लेकिन इसी मामले में जब जानकरी की गई तो पता चला है कि अधिबक्ता विकास श्रीवास्तव, एडवोकेट और ठेकेदार शैलेन्द्र कुमार मिश्रा दोनों के द्वारा इस मामले के शिकायतकर्ता जितेंद्र कुमार गुप्ता के खाते के रुपये दिए गए है जिसके बाद यह सवाल खड़ा होने लगा है कि आखिर यह रंगदारी की कौन सी परिभाषा में आता है कि रंगदारी मांगने वाले व्यक्तियों ने उल्टा खाते में रुपये दिया हो और यह भी बात समझ से परे जा रही है कि खाते में रुपये देने वाले लोग ठग कैसे हो गए। खैर इन बातों का जबाब भविष्य के गर्त में छिपा है।
कहीं कार्यवाही को प्रभावित करना तो नही उद्देश्य
- इस मामले में जब और ज्यादा जानकारी की गई तो पता चला कि अधिवक्ता विकास श्रीवास्तब के साथ गत वर्ष माह अक्टूबर में लूट व मारपीट की घटना हुई थी जिसकी रिपोर्ट सदर कोतवाली पुलिस ने दर्ज नही की थी तो अधिबक्ता विकास श्रीवास्तव ने न्यायालय का दरबाजा खटखटाया था और उस मामले में न्यायालय द्वारा स्वयं जांच की गई और प्रथमदृष्टया मामला सही पाते हुए उक्त मामले के जितेंद्र कुमार गुप्ता और उनके साथियों को विचारण हेतु तलब कर लिया है जिसके बाद अब यह सवाल उठने लगा है कि न्यायालय में विचाराधीन मामले की कार्यवाही को प्रभावित करने के लिए तो यह मामला पंजीकृत नही कराया गया।
रुपयों से ही जुड़ा रहता है मुख्य बिंदु
- ऐसा नही है कि जितेंद कुमार गुप्ता ने किसी अधिवक्ता और एक ठेकेदार के विरुद्ध यह पहला मामला दर्ज कराया हो बल्कि इसके पहले भी उक्त जितेंद्र कुमार गुप्ता द्वारा शहर के अन्य दो अधिबक्ताओ के विरुद्ध भी पृथक पृथक मामले दर्ज कराए जा चुके है जिसमे से एक मामले में पुलिस ने अंतिम आख्या प्रेषित की थी। उक्त जितेंद्र कुमार गुप्ता द्वारा अभी तक दर्ज कराए जाने वाले मामलों में सभी मामलों में विवाद का मुख्य बिंदु रुपयों से ही जुड़ा रहता है ।
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