अपनी बारी आने के इंतजार में मुरझा गए शाखी, सामने आई लापरवाही नपा ने वृहद वृक्षारोपण जन अभियान को लगाया पलीता चित्रांश विकास श्रीवास्तव, एडवो...
अपनी बारी आने के इंतजार में मुरझा गए शाखी, सामने आई लापरवाही
नपा ने वृहद वृक्षारोपण जन अभियान को लगाया पलीता
चित्रांश विकास श्रीवास्तव, एडवोकेट
कोंच (जालौन):- प्रदेश के आका मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा प्रदेश में बढ़ते प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण एवं पारिस्थितिकीय सन्तुलन बनाये रखने हेतु व्यापक जन आंदोलन के माध्यम से वृक्षारोपण कर हरित आवरण में बृद्धि के लिए वर्ष 2023-24 के वर्षाकाल में प्रदेश के 85 शासकीय विभाग एवं जन सामान्य के माध्यम से वनभूमि, सामुदायिक भूमि, अन्य राजकीय भूमि, कृषि व अन्य निजी भूमि पर वृहद स्तर पर रोपण कराया जाना सुनिश्चित किया था। जिससे प्रदेश के हरित आवरण में वृद्धि, पर्याप्त वर्षा जल संचय, कार्बन अवशोषण, शुद्ध हवा, उपजाऊ मिट्टी व स्वच्छ जल की प्राप्ति में मदद मिले। इस अभियान के तहत दो चरण के वृक्षारोपण में पूरे प्रदेश में कुल 35 करोड़ पौधों का वृक्षारोपण किया जाना था जिसके चलते जालौन जिले की नगर पालिकाओं को भी वृक्षारोपण के लिए पौधे उपलब्ध कराए गए थे लेकिन नगर पालिका के जिम्मेदार ने प्रदेश के आका की मंशा को पलीता लगाने में कोई झिझक नही दिखाई और फ़ोटो सेशन व कागजी खानापूर्ति करके अभियान को पूरा कर दिया लेकिन वास्तविकता के धरातल पर वृक्षारोपण की तस्वीर बिल्कुल उल्टी रही जिसके चलते जीवन पाने और पर्यावरण को सहयोग करने की आशा लिए शाखी खुद का जीवन खो बैठे और मुरझा गए।
बता दे हम सब जानते है कि पेड़ पौधे पर्यावरण का सन्तुलन बनाये रखने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है क्योंकि पेड़ पौधे ऑक्सीजन छोड़ते है और पर्यावरण की कार्बनडाई ऑक्साइड गैस को सोखने का कार्य करते है तथा पेड़ पौधे वर्षा कराकर पृथ्वी पर व वायुमंडल में जल की उचित मात्रा को बनाये रखने के साथ साथ वायुमंडलीय ताप को भी नियंत्रित रखते है और मिट्टी के कटाव को रोककर उसकी उर्वरा शक्ति बनाये रखते है एवं उनकी पत्तियां सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसे खतरनाक तत्व अपने में समा लेती है और हवा को से साफ बनाती है यानी कुल मिलाकर मानव जीवन में पेड़ पौधे का बड़ा ही महत्व होता है। इन्ही सभी बातों को देखते हुए और पेड़ पौधों की कमी से भविष्य में खड़ी होने वाली समस्याओं की दूरगामी सोच के चलते मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बृहद वृक्षारोपण जन अभियान के तहत गत 22 जुलाई को मुजफ्फरनगर में वृक्षारोपण करके अभियान की शुरुआत की थी इस दिन पूरे प्रदेश में 30 करोड़ पेड़ रोपे जाने थे और फिर दूसरे चरण में 15 अगस्त को 5 करोड़ पौधे रोपे जाने थे। इस अभियान में समस्त विभाग, सार्वजनिक उद्यम, निगम व बोर्ड आदि के प्रत्येक अधिकारी और कर्मचारी को कम से कम 1 पौधे का रोपण कर उसकी सुरक्षा का संकल्प भी लेना था। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकारी विभागों को वार कोड से पौधे वितरित किये गए थे और जिम्मेदारों को वृक्षारोपण की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसी के चलते नगर पालिका कोंच को भी 5 हजार पौधे उपलब्ध कराए गए थे। कोंच नगर पालिका परिषद के ई ओ पवन कुमार मौर्य ने मात्र फ़ोटो सेशन और कागजी तौर पर खानापूर्ति करके इस लक्ष्य को पूरा करने में कोई कमी नही छोड़ी लेकिन प्रदेश मुख्यमंत्री की दूरगामी सोच को वास्तविकता के धरातल पर वृक्षारोपण करके अमली जामा पहनाने की कोई जहमत नही उठाई और उल्टा बृहद वृक्षारोपण जन अभियान को पलीता लगाया जिसके चलते अपनी बारी आने के इंतजार और भविष्य में पर्यावरण को संतुलित रखने में सहयोगी बनने और वातावरण को शुद्ध बनाने की आशा लिए शाखी खुद अपना ही जीवन खोकर मुरझा गए लेकिन कहा जाता है कि हकीकत ज्यादा दिन छिपती नही है और झूठ की उम्र लंबी नही होती यह सब उस समय चरितार्थ हो गया जब हाटा स्थित नगर पालिका परिषद कोंच के वाहन गैरिज में सूखे मुरझाए पड़े शाखी पर नजरें पड़ी और तस्वीरें कैमरे में कैद की गई। सरकार की मंशा को पलीता लगाने और अभियान के तहत वृक्षारोपण करने में लापरवाही करने वाले जिम्मेदार की तस्वीर तो साफ है लेकिन अब इस लापरवाही को लेकर जिम्मेदार पर कार्यवाही की जाएगी या नही इसका जबाब भविष्य के गर्त में छिपा है।
सरकारी धन की हुई बर्बादी, क्या वेतन से होगी भरपाई❓
- भले ही बृहद वृक्षारोपण जन अभियान के तहत रोपण हेतु वितरित हुए पौधों सभी विभागों को वन विभाग (1901 नर्सरियों) से निशुल्क उपलब्ध कराए गए हो लेकिन इन पौधों को तैयार करने और उनको एक साथ से दूसरे स्थान तक ले जाने में सरकारी धन खर्च तो हुआ ही होगा और वह खर्च जनता की पसीने की कमाई से भरने वाले सरकारी राजकोष से हुआ होगा और नगर पालिका ई ओ की इस प्रकार लापरवाही से मात्र बृहद वृक्षारोपण जन अभियान को ही पलीता नही लगा बल्कि सरकारी धन की बर्बादी भी हुई है जिसको लेकर अब यह सवाल भी खड़ा होने लगा है कि जिम्मेदार ई ओ पवन किशोर मौर्य की लापरवाही के कारण इस तरह बर्बाद हुए सरकारी धन की भरपाई क्या जिम्मेदार ई ओ के वेतन से बसूली करके की जाएगी या मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा❓जिसका जबाब भी अभी भविष्य के गर्त में छिपा बैठा है।
अभी के नही है शायद, आप क्यों मुझे परेशान कर रहे- ई ओ
- जब इस मामले में ई ओ नगर पालिका परिषद कोंच पवन कुमार मौर्य से बात की गई तो उन्होंने बताया कि मुझे इस अभियान के तहत 5 हजार पौधे मिले थे जो मैंने सभी लगवा दिए थे। जब उनसे पूछा कि जो पौधे आपके हाटा स्थित वाहन गैरिज वाली जगह पर मुरझाए पड़े है तो उन्होंने कहा कि वो यह वाले नही है शायद पिछले वाले होंगे। जब उनसे आगे सवाल किए गए तो झुंझला कर बोले आप काहे मुझे परेशान कर रहे है। भले ही ईओ साहब ने पेड़ पुराने होने का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ने का प्रयास किया है लेकिन जानकारों का मानना है कि इस जगह का निर्माण गत 2022 के अंत मे हुआ है और उसके बाद कोई वृक्षारोपण अभियान नही हुआ था सीधा जुलाई में बृहद वृक्षारोपण जन अभियान ही हुआ था।
भूसा घपला मामले में निलंबित किये गए है यही ईओ
- अगर ई ओ पवन कुमार मौर्य की कार्यशैली की बात की जाए तो इनकी लापरवाही का यह कोई पहला मामला सामने नही आया है इसके पहले ये महानुभाव कदौरा में तैनात थे जहां की कान्हा गौशाला में भूसा घपला मामले में इनको जांच में दोषी पाए जाने पर निलंबित किया गया है जिसके बाद अब यह देखने लायक बता होगी कि इस लापरवाही के लिए इन पर कार्यवाही होती है या मामले को ठंडे बस्ते में डाला जाता है।
COMMENTS